दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे

दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे,
क्या सजा मिली है मुझको तेरी दोस्त के पीछे,
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे

मैं गरीब हु तो क्या है दीनो के नाथ तुम हो,
होठो पे है उदासी तेरी रोशनी के पीछे
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे

हे द्वारिका के वासी अखियां दर्श की प्यासी,
दिखला झलक जरा सी अरे मेरी दोस्ती के पीछे,
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे

बचपन का यार तेरा आया तेरी गली में,
दर दर भटक के आया तेरी दोस्ती के पीछे,
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे

तुम हो पतित पावन अधमो का मैं हु स्वामी,
अब तो दर्श करा जा तेरी दोस्ती के पीछे,
दर दर भटक रहा हु तेरी दोस्ती के पीछे
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