नाम है मेरा नन्द किशोर केहलाता चाहू माखन चोर,
जब जब मुरली मधुर बजाऊ झूम उठे सब चाहू और,
गोकुल के ग्वाले और बाले मेरे संग सहारे
इनके बिना मैं रह सकता लगते मुझको प्यारे,
कहते मुझको सब चित चोर,
बन बन ढोलू जैसे मोर
जब जब मुरली मधुर बजाऊ झूम उठे सब चाहू और,
गोकुल बरसाने की गुजरी मेरे मन को भाये
माखन मिशरी सब लाला के घर से मुझे खिलाये,
वर्ना मटकी दू मैं फोड़ न मुझको समजो कमजोर
जब जब मुरली मधुर बजाऊ झूम उठे सब चाहू और,
मुझको मेरी गैया लागे प्राणों से भी प्यारी
वो मेरी मैया के जैसी मैं हु सदा पुजारी
केवल हो मेरी सिर मोर मेरी खुशियाँ मेरी भोर
जब जब मुरली मधुर बजाऊ झूम उठे सब चाहू और,