भोले तेरी किरपा बिन अधूरा हु मैं,
तू ही है मदारी जमूरा हु मैं,
तेरी महिमा जानू ये औकात नहीं है,
ऐसी कोई मुझमे बात नहीं है,
अवगुण भरे है बेसुरा हु मैं,
तू ही है मदारी जमूरा हु मैं,
जैसे तू चलाये वैसा चलता रहु मैं भोले तेरे टुकड़ो पे पलता रहु मैं,
भगति के नूर बिन बे नूरा हु मैं,
तू ही है मदारी जमूरा हु मैं,
डोर मेरी बस तेरे हाथ रहे रेहमत की होती बरसात रहे,
नहीं भोला कमल सिंह पूरा हु मैं,
तू ही है मदारी जमूरा हु मैं,