सुनले मारी बात कन्हिया सुनले मारी बात
धन दौलत मैं कुछ ना माँगू जोडु दोनो हाथ
साधा सा मोहे खाना देदे उपर घी की धार
लडू पेडा कुछ ना चाहिये रबड़ी लछेदार
कन्हिया सुनले.......
रहने को इक बंग्ला देदे खुमन को इक कार
खूम खाम को घर को आऊ खडे हो नौकर चार
कन्हिया सुनले.........
प्यारा सा इक बेटा देदे बहुत गुणवती नार
पोता तो मोहे ऐसा चाहिये जैसा फुल गुलाब
कन्हिया सुनले........
अपने लिये तो कुछ ना माँगू नो तोले का हार
पहन ओड के दर तेरे आऊ बोलू जय जय कार
कन्हिया सुनले.........