सांवरिया मेरी मटकी में कंकरियां मत मारे,
गुजारियाँ मटकी माखन की निचा क्यों ना उतारे,
जब मथुरा से वापिस से आउ तो को माखन खूब ख्वाउम
धोखो देके क्लान कर गई आज के दिन का वादा कर गई,
गुजरियाँ तुझसे मिलने का घिंटा चार गुजारे,
गुजारियाँ मटकी माखन की निचा क्यों ना उतारे,
दिन निकले से मैं हु भूखो खाऊगो तेरा मखान रूखो,
तंग करे मत इतनी पा कर कह दूंगी कंस से जा कर,
सिपइयाँ फिर दंडन से तेरा नशा उतारे,
सांवरिया मेरी मटकी में कंकरियां मत मारे,
रार करे मत यशोदा नंदन लिखे अनाड़ी गावे चन्दन ,
बात करे मत सर्प दंड की धमकी मत दे मुझे कंस की,
गुजरिया उस से गिन वा दू दिन में तारे
गुजारियाँ मटकी माखन की निचा क्यों ना उतारे,