ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना दो तान,
मैं हु तेरी प्रेम दीवानी मुझको तू पहचान, मधुर सुना दो तान,
ओ कान्हा अब तो मुरली की मधुर सुना दो तान,
जब से तुम संग मैंने अपने नैना जोड़ लिए है,
क्या मियाँ क्या बाबुल सबसे रिश्ते तोड़ लिए है,
तेरे मिलन को व्याकुल है ये कब से मेरे प्राण,
मधुर सुना दो तान........
सागर से भी गहरी मेरी प्रेम की गहराई,
लोक लाज पल के पर आना सज कर मैं तो आई,
मेरी प्रीती से ओ निरमोही अब न बन अनजान,
मधुर सुना दो तान,
मैया रूठी बाबुल रूठा कौन न सुनत हमारी,
तेरी प्रीत के कारण हो गया सब ना जग मोहरा वैरी,
किसी शरण में जाऊ दुखियां तू बता भगवान,
मधुर सुना दो तान,