भरी हुई रस की गगरिया सा मीठा,
सिया राम कहो हरी राम कहो प्रभु राम रे,
प्रीतम की प्रीती विश्वाश लेकर मस्ती से हरी नाम गा,
जन्मो जन्म से सोया हुआ अब अवसर है भाग जगा,
सावन की झम झम बदरियाँ सा प्यारा,
सिया राम कहो हरी राम कहो प्रभु राम रे,
इस युग का मालिक कलयुग कहाये कलयुग का मालिक है नाम,
कल्याण के साध्नो का है राजा पुरे करे सारे काम,
तारो में जैसे है धरुव तारा न्यारा,
सिया राम कहो हरी राम कहो प्रभु राम रे,
आधार प्रभु के चित्रों को कर के जीवन के पथ पर चले,
चूबना नहीं शूल किसी को बन कर के फूल खिले,
सुख दाई फूलो की बागियों के जैसा,
सिया राम कहो हरी राम कहो प्रभु राम रे,