राम छवि है कितनी पियारी
मोहित इनपर झनक दुलारी
प्यारे राम मेरे राम जी
सन्मुख खड़े है दशरथ लाला
सीता डाल रही वर माला माता जानकी हो गई राम की
सीता स्व्यंभर जब राम जी जीते,
दुखो से भरे पल सारे ही बीते,
लाये दशरथ जी बारात राजा झनक जी जोड़े हाथ
किया समान जी कन्या दान जी
राम छवि है कितनी पियारी
राजा जनक ने कैसे युक्ती लगाई,
आये पसंद उन्हें चारो ही भाई
इक ही मंडप इक ही द्वारा लागे विवाह का गजब नजारा
झूमे राम जी सीता राम जी
धाम अयोध्या में तो खुशिया है छाई
घर घर में दीप जले गूंजे शेहनाई
झूमे अवध के सब नर नारी दूल्हा बने है अवध बिहारी
प्यारे राम जी मेरे राम जी