दरबार तेरा हाउस फुल है I
क्यों की तू बड़ा पावर फूल है II
मै वारी जाऊ सूरत पे थारे गिरधारी
बलिहारी जाऊ सूरत पे थारे गिरधारी
मीरा के मन मे तुम हो समाये
जोगन बन के वो गलियों मे गाये
दीवानी..३ प्रेम के मारी, मै वारी जाऊ....
रोई सभा मे द्रोपदी नारी
नंगे पैर दौड़े आये कृष्ण मुरारी
वो खुद ही..३ बन गाये साड़ीजी, मै वारी जाऊ....
मेरे शीश के दानी का सरे जग मे डंका बजे
हारे के साथी का सरे जग मे डंका बजे
मै वारी जाऊ....
नरसी भगत को तूने तार दिया है
कर्मा बाई से तूने प्यार दिया है
और अब है..३ मेरी बारी जी, मै वारी जाऊ....