तेरह पेढिया ऊपर म्हारे,
श्याम को बंगलो,
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों,
सेठ सावरों,
जी म्हारो सेठ सावरों॥
पहली पेरही पग धरताही,
मिट जा सब संताप,
दूजी तीजी पेरहि करदे,
मैल मना का साफ़,
ओ चौथी पेहरी चढ़ता भूल्या,
दुनियादारी को रगड़ो।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों॥
पांचवीं पेहरी के ऊपर,
नोबत जोर बजावां,
मिलने आ गया टाबरिया,
यो डंको मार बतावां,
ओ छट्टी सातवीं पेहरी चढ़कर,
बोला जयकारो तगड़ो,
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों॥
आठवीं पेहरी ऊपर सारी,
तन की पीड़ा भागे,
नौंवी पेहरी चढ़ता चढ़ता,
सूती किस्मत जागे,
ओ दसवीं पेहरी भेद मिटावे,
झूठी माया को सगलो।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों॥
ग्यारवी पेहरी चढ़ता दिखे,
खाटू रो सिरदार,
बारवीं पेहरी पर होवे,
अंतर की फुहार,
ओ ‘सरिता’ तेरहवी पेहरी लागे,
मोरछड़ी को फटको।
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों॥
तेरह पेढिया ऊपर म्हारे,
श्याम को बंगलो,
सारे जग में राज करे है,
म्हारो सेठ सावरों,
सेठ सावरों,
जी म्हारो सेठ सावरों॥