डम डम डमरू भजावे होके मस्त मगन में नाचे,
महल अटारी छोड़ छाड़ के बस हां बैल विराजे,
आई जब विपदा के नर के हक में पिया विष का प्याला,
मेरा भोला बड़ा निराला मेरा भोला बड़ा निराला,
औघड़ दानी नाम अप्रम कहानी बेहता जटा से जिसका गंगा का पानी,
मखान मिश्री खाये नहीं भांग का गोला भाये,
भस्म रमाये दहियां घर में सर्प का माला साजे,
लाल लाल है अखियां उस में पहने मृग का शाळा,
भोला बड़ा निराला मेरा भोला बड़ा निराला,
पालन करता वही दुःख हरता,
गुस्से से जिसके तीनो लोक है डरता,
जो भी दर पे जाये सब कुछ बिन मांगे ही पाये,
पाके दर्शन बाबा का जिंगदी धन हो जाये,
सच्चे दिल से जो भी आये जिंदगी धन हो जाना,
भोला बड़ा निराला मेरा भोला बड़ा निराला,