इक सांस आये रे इक सांस जाए रे | आत्मिक भजन

इक सांस आये रे,इक सांस जाए रे
जियरा भी पास में फसता जाए रे ।
सांस पहर बन ढलता जाए,
सखी सईयां ना आये रे ॥

चार कहार मिली डोलिया उठावे,
सखवा से पाती तोड़ ले जावे ।
सांस पखेरू बन उड़ता जाए,
सखी सईयां ना आये रे ॥

नैन मूंदे तो मैं जागी,
गाँठ खुले मन का ओ रे राही ।
इक आस आये,जब सांस जाए,
सखी सईयां आये रे ॥
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