अगर तू जो माँ ना होती
तो मुझमे ये जान न होती,
ना होता ये संसार मेरा,
ना होता ये परिवार मेरा,
ना मिलता प्यार तेरा,
तेरे प्यार के छाओ में रह कर मैंने खुद को सजाया माँ,
मेरे लावो को तूने हसी दी मैंने तुझे रुलाया,
जो पाया प्यार तेरा है ये उपकार तेरा,
ना होता संसार मेरा ना होता परिवार मेरा....
ढूंड रहा हु उस ऊँगली को जिसने चलना सिखया माँ,
तेरी गोद के हर पहलु में जन्नत का सुख पाया,
बरसो नही सोई मेरे लिए तुम्हारो ही ,
ना होता संसार मेरा ना होता परिवार मेरा....
बचपन में जब मैं दर ता था बाहों में भर लेती,
मैं मुश्कता था जब मुझपर तू आंचल कर लेती,
इसा कोई है कहा जैसी मेरी है ये माँ,
ना होता संसार मेरा ना होता परिवार मेरा....
दुनिया में होता ना कही कोई ये दुनिया न बनती माँ,
मर करके सोह बार भी धक् लाल नही जो जनती,
दर्द हज़ार सहा फिर भी ना माँ कुछ कहा,
ना होता संसार मेरा ना होता परिवार मेरा....