बेल पे बैठा झूमे जोगियां पी के भांग का प्याला,
दूल्हा बना डमरुआ वाला,
दो चार बिशु बदन पे चिपके गले सर्प की माला,
दूल्हा बना डमरुआ वाला,
शुक्र शनिचर है शिव के साथी,
भूत चुड़ैल सब चले बाराती,
जो भी देखे वो दर जाये रूप है इतना काला,
दूल्हा बना डमरुआ वाला,
भोले बैठे लँगड़ो के कंधे,
सबको रस्ता दिखलाये अंधे,
संतो सिआ दो वरुण बहारे झूमे वन मतवाला,
दूल्हा बना डमरुआ वाला,