मेरे सिर पर गठरी भांग की मोहे जाना पड़े जरूर,
भोला बैठा बाट में....
मैं गई गंगा स्नान को,
मुझे पीछे आई ध्यान हो,
वहां भांग खड़ी घनघोर, भोला बैठा बाट में,
मेरे सिर पर गठरी भांग की.....
गोरा गठरी लावे भांग की,
मोहे घोट घोट के पिलावेगी,
वह तो रहे नशे में चूर, भुला बैठा बाट में,
मेरे सिर पर गठरी भांग की.....
गोरा रोवती डोले पहाड़ पर,
मेरी चुनरी इलझी झाड़ में,
यह पर्वत कितनी दूर, भोला बैठा बाट में,
मेरे सिर पर गठरी भांग की.....
मेरे पैरों में छाले पड़ गए,
गोदी में उठा ले ओ भोले,
हुई चलने से मजबूर, भोला बैठा बाट में,
मेरे सिर पर गठरी भांग की.....