ऊधो मोहे मैया की आज याद सताती है
भैया वृंदावन को ले जा मेरी पाती है
जा दिन में मथुरा को देख आया था घर सो
कह कर के आया था आ जाऊंगा परसो
नही आज तलक पहुंचा ऐसी मेरी छाती है
ऊधो........
जैसी होवे तेसी सबको समझा देना
कान्हा कहे राधा को कुछ ज्ञान करा देना
मेरी श्यामा गैया फिरकण में रंभाती है
ऊधो.......