जब से पाया है कन्हैया आप का ये दर

जब से पाया है कन्हैया आप का ये दर,
तब से जग में जी रहा हु मैं उठा के सिर,

इस जीवन के इक इक पल को प्यार से tतुमने सहारा,
दुनिया भर का सुख मेरे बाबा तुमने मुझपर वारा
तेरे एहसान गिन ने लगु तो बीत जाए उम्र
जब से पाया है कन्हैया आप का ये दर,

तेरे नाम का अमिरत प्याला रोज ही मैं पीता हु,
कल की चिंता अब नहीं रहती आज में मैं जीता हु,
उसे भला क्या चिंता खुद की तुझपे जो निर्भर,

जब से तुम थाम रखी है सोनू की ये कलहाई,
आने से पहले लाख दफा जे सोचती है जे कठिनाई,
उस के दिल को कैसे डराए जिस का तू दिलबर,
जब से पाया है कन्हैया आप का ये दर,
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