आयो हरिद्वार को स्टेशन भरी कावड़ियों से रेल,
कावड़िया बने खिलाड़ी भोले संग लायो मेल,
कोई हरी की पौड़ी न्हावे कोई न्हावे गंगा घाट,
कोई यादव कोई गुजर कोई हरयाणे को जाट,
हाथो में चिलम उठाई और भंग भी पी लई गेल,
कावड़िया बने खिलाड़ी भोले संग लायो मेल,
कोई बम बम भोले बोले कोई बोले हर हर गंगा,
कोई शिवलिंग दूध चढ़ावे कोई पूजे नाग भुजंगा,
हे लगाया कावड़ियों का मेला कैसी हो रही रेलम पेल,
कावड़िया बने खिलाड़ी भोले संग लायो मेल,
हे कही डम डम डमरू भाजे कही भजन भजे भोले के,
हे आजाद मण्डोरी कैसे शबद सजे भोले के,
संदेया के सुमे गावे रहो भोले सब की जेल,
कावड़िया बने खिलाड़ी भोले संग लायो मेल,