त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी आओ न विषधारी हमारी पुकार पे,
हम सब आये है तुम्हारे द्वार पे
गले में बाबा सरप विराजे गामंग है पार्वती,
दीपक लेकर के दर में भक्त करे है तेरी आरती,
इक बारी आओ दर्श दिखो हम भी दास है तेरे,
ओ कैलाशी काशी के वासी तुम हो अविनाशी,
जटा में गंग धार के हम सब आये है तुम्हारे द्वार पे
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी आओ न विषधारी हमारी पुकार पे,
बस्मा सुर को तूने मारा भक्तो को तो तारा रे,
जब जब भीड़ पड़ी भगतो पे छोड़ समाधि आया रे,
जय जय शंकर जय जय पर्लयंकर जय हो गोरी शंकर,
दिल से चाहे के नित उठ ढाये तुम्ही को मनाये,
प्रभु करदो भव से पार रे हम सब आये है तुम्हारे द्वार पे
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी आओ न विषधारी हमारी पुकार पे,
भुत नाथ बाबा भूतो के स्वामी अन धन का भण्डार भरो,
धरलो हर्लो दुःख हमारा जीवन का कल्याण करो,
बालक तेरी महिमा गाये सारे जग को सुनाये,
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी लेवो जी सुधि हमारी तेरा ही आधार रे,
हम सब आये है तुम्हारे द्वार पे
त्रिपुरारी ओ भोले भंडारी आओ न विषधारी हमारी पुकार पे,