आई बागों में बहार, झूला झूले राधा प्यारी
झूले राधा प्यारी, हाँ झूले राधा प्यारी
सावन की ऋतु है आई, घनघोर घटा नभ छाई
ठंडी-ठंडी पड़े फुहार, झूला झूले राधा प्यारी
आई बागों में ..............
हो मस्त मोर यूँ नाचे, मोहन की मुरलिया बाजे
कू-कू कोयल करे पुकार, झूला झूले राधा प्यारी
आई बागों में ..........
सब सज रहीं नार नबेली, नटखट करते अठखेली
कर के सोलह सिंगार, झूला झूले राधा प्यारी
आई बागों में ..............
राधा संग में बनवारी, झूलें हैं सखियाँ सारी
गावेँ गीत मल्हार, झूला झूले राधा प्यारी
आई बागों में ..............
भए ऐसे मगन कन्हाई, चलती ठंडी पुरवाई
छम-छम बरसे मूसलधार, झूला झूले राधा प्यारी
आई बागों में ...........