रचा उसने जगत सारा,
करे वो पालना सब की,
करे वो पालना सब की,
वही मालिक है दुनिया का,
पिता माता विधाता है,
पिता माता विधाता है,
लगा ले प्रेम ईश्वर से,
अगर तू मोक्ष चाहता है......
नहीं पाताल के अंदर,
नहीं आकाश के ऊपर,
नहीं आकाश के ऊपर,
सदा पास है तेरे,
कहाँ ढ़ूंढ़न को जाता है,
कहाँ ढ़ूंढ़न को जाता है,
लगा ले प्रेम ईश्वर से,
अगर तू मोक्ष चाहता है......
करो जप तपन भारी,
रहो जाकर सदा वन में,
रहो जाकर सदा वन में,
बिना सतगुरु की संगत के,
नहीं वो दिल में आता है,
नहीं वो दिल में आता है,
लगा ले प्रेम ईश्वर से,
अगर तू मोक्ष चाहता है.......
पड़े जो शरण में उनकी,
छोड़ दुनिया की लालच को,
छोड़ दुनिया की लालच को,
ब्रम्हानंद के निश्चय से,
परम सुख धाम पाता है,
परम सुख धाम पाता है,
लगा ले प्रेम ईश्वर से,
अगर तू मोक्ष चाहता है......