की कन्हियाँ ने दया कोई कष्ट न रहा,
सारी विपदा टल गई,
सुदामा की झोपडी महल में बदल गई
जिंदगी में गम मिले तभी जयदा कम मिले कन्हियाँ के प्यार में आया दरबार में,
मुँह नहीं खोल स्का कुछ नहीं बोल स्का लीला बड़ी अपार आंसू ख़ुशी में ढल गई,
सुदामा की झोपडी महल में बदल गई
सखा वाल मन के थे गुरु जी के मन के थे,
गरीबी परिवार में दुखी संसार में बिन मांगे दे दियां,
सारा दुःख उन्हें लिया वेहरी श्री श्याम कहानी बन ये कमल गई,
सुदामा की झोपडी महल में बदल गई
कान्हा कैसे प्रीत है रीत में ही जीत है,
जीत ही कमल सिंह जिंदगी का रीत है,
ढीला रंग सुदामा का बदला रंग सुदामा का,
घर पौंछा रोनकार नई जिंदगी मिल गई,
सुदामा की झोपडी महल में बदल गई