श्री गोवर्धन महाराज लाज मेरी राखो हे बनवारी रे,
तेरे जोड़ू हाथ गिरधारी रे.....
तेरे ब्रज में वर्षा हुई भारी, जब लाज बचाई बनवारी,
सब गोप गोपियां रो-रो हारी, श्री माधव कृष्ण मुरारी रे,
तेरे जोड़ू हाथ गिरधारी रे.....
तूने इंद्र का मान घटाया था, नख पै गिरिवर को उठाया था,
श्री कृष्ण चरण को धोया था मैं आया शरण तिहारी रे,
तेरे जोड़ू हाथ गिरधारी रे.....
तू गोवर्धन गिरधारी है, मनमोहन श्याम मुरारी है,
तुझे दुनिया दिल से ध्यारी है, तुम सुन लो बात हमारी रे,
तेरे जोड़ू हाथ गिरधारी रे.....
पूछरी कौ लौठा मुखारविंद मानसी गंगा हरीगोविंद,
दुनिया के जितेंद्र कटे फन्द जो राधा कुंड में नहा री रे,
तेरे जोड़ू हाथ गिरधारी रे.....