अपनी करनी से प्रिय यु मैं शर्म सार हु,
अपना लो या ठुकरा दो श्री राधे तेरा गुन्हे गार हु ,
अपनी करनी से प्रिय जो मैं शर्म सार हु,
काजल से भी बढ़ कर है मेरे कर्म काले,
फर्याद क्या सुनाऊ मैं लव पर पड़े है ताले,
पागल मन भजन कैसे गाये इस में ही लाचार हु,
अपना लो या ठुकरा दो श्री राधे तेरा गुन्हे गार हु ,
अपनी करनी से प्रिय जो मैं शर्म सार हु,
ना दीं ता है ना भाव भक्ति न कुछ भजन है तेरा,
काम क्रोध मद मोह लोब ने ऐसा मुझको गेरा,
कैसे अपनाओ गई मुझको मैं तो बेकार हु,
अपना लो या ठुकरा दो श्री राधे तेरा गुन्हे गार हु ,
अपनी करनी से प्रिय जो मैं शर्म सार हु,
तेरे भजन बिन जीवन ऐसे जैसे नैया बिन पानी,
करले भजन प्रिय का मिल जाए ब्रिज रजधानी,
कैसे विसारो गी हर मेरी मैं दूसरी सरकार हु,
अपना लो या ठुकरा दो श्री राधे तेरा गुन्हे गार हु ,
अपनी करनी से प्रिय जो मैं शर्म सार हु,