मेरी मैया चली अशुवन धरा वही,
नो दिन मैया ने बेटो की विपदा हरी,
मेरी मैया चली अशुवन धरा वही,
सारे जगत की है महारानी,
भक्तों की श्रद्धा माता ने जानी,
दिल में है खलबली अशुवन धारा वही,
मेरी मैया चली अशुवन धरा वही,
मैया अतिथि थी बन कर आई,
जगमग दीपक ज्योत जलाई,
सब की बिगड़ी बनी अशुवन धारा वही,
मेरी मैया चली अशुवन धरा वही,
आज विधाई मैया की आई,
भक्तो ने महिमा मैया की गाई,
मन में ज्योत जगी अशुवन धारा वही,
मेरी मैया चली अशुवन धरा वही,
दास हेमेश की विनती सुन लो,
सब की अर्जी माँ पूरी करदो.
रेवा के तीर चली अशुवन धारा वही,
मेरी मैया चली अशुवन धरा वही,