मेरी माँ शेरोवाली का दरबार सुहाना लगता है

मन मस्त मगन हो कर नाचे जब याहा ढोल नगाड़ा बजता है,
मेरी माँ आंबे माँ का दरबार सुहाना लगता है,
मेरी माँ शेरोवाली का दरबार सुहाना लगता है,

कोई नारियल कोई लाल चुनरियाँ लाये है
नोराती के दिन मैया जी के आये है,
उस के तो दिन है बदल जाते जो जय माता दी नाम जपता है,
मेरी माँ आंबे माँ का दरबार सुहाना लगता है,

कुलदीप और रजनीश तो माँ के दीवाने है,
कीर्तन करते गाते भजन और गाने है,
किस्मत है उसकी चमक जाती जो
विश्वाश दिल में रखता है
मेरी माँ शेरावाली  का दरबार सुहाना लगता है,
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