मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता

मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता,
तुम माफ़ करते करते थक ते नहीं हो दाता,
मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता,

सब जानते हुए भी मैं भूल कर रहा हु ,
अंधी गली में फिर भी बेपाक चल रहा हु,
ना जाने जानू ना ये रस्ता कही न जाता,
तुम माफ़ करते करते थक ते नहीं हो दाता,
मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता,

कुछ गलत हो रहा है मेरी रूह जानती है,
मन की ये पापी चिड़ियाँ फिर भी न मानती है,
चंचल ये मन का बेडा रह रह के डोल जाता,
तुम माफ़ करते करते थक ते नहीं हो दाता,
मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता,

मैं गलत और सही की पहचान कर न पाउ,
अज्ञानता में बाबा मैं भूल करता जाऊ
जिस का हो न नतीजा वो काम करता जाता है,
तुम माफ़ करते करते थक ते नहीं हो दाता,
मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता,

मेरी आज तक की भूले मेरे सँवारे भुला दे,
अब थाम ले कलहाइ सच पथ पे तू चला दे,
भटके हुयो को रस्ता कहे हर्ष तू दिखाता,
तुम माफ़ करते करते थक ते नहीं हो दाता,
मैं पाप करते करते थक सा गया विद्याता,
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