बौल-: तुम्हारी याद आती है
हमारी सुंन नहीं पाती है लाडली क्यों तरसाती है,
श्याम से क्यों ना मिलाती है, लाडली क्यों तरसाती है....
तुम्हारे ही भरोसे पे, जहां को छोड़ आया हूं,
सुनले मेरी फरियाद, लाडली क्यों तरसाती है....
मानों अब मेरी अर्जी, श्याम से तुम मिला दो ना,
नहीं तो तेरे द्वारे मैं मरूं, लाडली क्यों तरसाती है....
पागल भी है तुम्हारा अब, द्बार पे पड़ा रहेगा ये,
धसका को शाम से मिला, लाडली क्यों तरसाती है...