लगी होगी मेरे हाथ हथकड़ी
पड़ी होगी मुझ पर जो मुश्किल बड़ी
मेरे जज बन जाना श्याम तुम आ जाना
अजा रे आजा रे सरकार होकर लीले पर सवार
मेरा मुकदमा जब भी बाबा तेरी अदालत आएगा
वकील मुझको खींचते होंगे तू वहां बैठा पायेगा
हाथों में लेना अपनी मोरछड़ी
मेरे जज बन जाना श्याम तुम आ जाना
अजा रे आजा रे सरकार होकर लीले पर सवार
श्याम बहादुर आलू सिंह जी बाबा दर के मुंशी होंगे
सोहन लाल लुहकर जैसे बाबा तुझको पर्दा देंगे
लेगी बनाकर बाबा कर्मा खिचड़ी
मेरे जज बन जाना श्याम तुम आ जाना
अजा रे आजा रे सरकार होकर लीले पर सवार
मेरे गुनाहों की गठरी मेरे बाबा ज़्यादा भारी है
कलयुग का अवतार है तू तो मेरा एक हितकारी है
आकर के देख बहती आँखों से झड़ी
मेरे जज बन जाना श्याम तुम आ जाना
अजा रे आजा रे सरकार होकर लीले पर सवार
छोटी से अर्ज़ी मुजरिम की बाबा ज़रा निभा लेना
हर ग्यारस पर शीश के दानी मुझ मुजरिम को बुला लेना
वहां भजन पागल भी गाये कर बेहेन को संग कड़ी
मेरे जज बन जाना श्याम तुम आ जाना
अजा रे आजा रे सरकार होकर लीले पर सवार