कान्हा प्रेम की डोर मोहे खींच

कान्हा प्रेम की डोर  मोहे खींच जोर तेरे नैनो ने मुझपे जादू किया,
तुझसे है वादा हां बिन तेरे राधा ये श्याम है आधा ओ राधिका,

राधा ना होती वृद्धावन न होता तो कैसे हम रास रचाते,
राधा की पायल न भजति तो बोलो ऊँगली पर किसको नचाते,
कान्हा कैसा ये कमाल है हुआ हाल बेहाल तेरे शृंगार ने मुझको पागल किया,
तुम पे है वादा बिन तेरे राधा ये श्याम है आधा ओ राधिका,

राधा न होती तो कुञ्ज गली भी ऐसी निराली न होती,
राधे के नाम से महके है उपवन हरयाली ऐसी न होती,
कान्हा तेरी मुस्कान पे प्यारी बंसी की तान उसकी बांकी अदाओ ने घ्याल किया,
तुम पे है वादा बिन तेरे राधा ये श्याम है आधा ओ राधिका,

राधा न होती ये स्वान ना होता तो फिर किसको झूला रिजाते,
अमित गगन बैठे चरणों में तेरे तो भजनो से किसको रिजाते,
कान्हा घुंगरले बाल तेरी टेडी मेडी चाल मैंने मोहन को तन मन ये अर्पण किया,
तुम पे है वादा बिन तेरे राधा ये श्याम है आधा ओ राधिका,
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