मैया घर मेरे पधारो मेरी बिगड़ी स्वारो,
ये विनती सुनो मेरी माँ जो है खाव्ब अधूरे हो जायेगे पुरे,
जब मिलेगी तुम्हारी महिमा,
ओ माँ ओ माँ,
पाप मुक्त तो करके मैया भव से तर देती है,
सब को अपना कर दो मैया उनके दुःख हर देती है,
इक नजरियां हो जग दाती भंडारे भर ती है
सारे जग को सम्बाले मुझे चरणों में वसा ले,
बस यही है मेरी कामना,
जो है खाव्ब अधूरे हो जायेगे पुरे जब मिलेगी तुम्हरी महिमा,
ओ माँ ओ माँ,
काल भी तुझसे भय खाये जब काली रूप में आये,
तू जिस पर बलिहारी जाए वो सम्पन हो जाए,
मैया जग से मैं हारी जो तुझपे मैं वारि सुन ले दुखिया की तू करुणा,
जो है खाव्ब अधूरे हो जायेगे पुरे जब मिलेगी तुम्हरी महिमा,
ओ माँ ओ माँ,