असि रुल्दे फिरदे आ साइयां बांह फड़ लै

असि रुल्दे फिरदे आ साइयां बांह फड़ लै,
असि अकला तो फिर गये आ साइयां बांह फड़ लै,

जिस दिन मेरी वाह पकड़े गा उस दिन मानुगा मैं,
साई साई क्यों कहे जमाना तब ये जानुगा मैं,
साहनु देके सबर सबुरी सादे दुःख हर ले,
तेरी चरनी गिर गये आ साइयां बांह फड़ लै,
असि रुल्दे फिरदे आ साइयां बांह फड़ लै,

हे जोगी तेरा रूप निराला शिरडी रेन वसेरा,
सब दे घर जान वाले क्यों सुना घर मेरा,
असि तेरे होंगे आ तू भी हां कर ले,
रस्ते तो फिसल गये आ साइयां बांह फड़ लै,
असि रुल्दे फिरदे आ साइयां बांह फड़ लै,

नूर जॉली जब शिरडी आया तूने गले लगाया,
कामा कहे हर ख़ुशी वो पाए जो साई का हो आया,
रमा भी धुप च सड़ गये आ साइयां छा कर लै,
संगत विच मिल गये आ साइयां बांह फड़ लै,
असि रुल्दे फिरदे आ साइयां बांह फड़ लै,
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