द्वारका माई बिनु शिरडी न सोहे,
सबुरी बिनु साई ना मिले मोरे भैया,
किशन वचन बिनु गीता न शोभे,
सतगुरु बिनु ज्ञान न मिले मोरे भैया,
गुल के बिनु गुलशन ना सोहे,
भिभूति बिना तिलक न सोहे मेरे भईया,
दीप बिनु दिवाली न शोभे,
बाहन बिनु रखियां ना शोबे भईया,
भाव बिनु भक्ति न शोबे,
साई चरण बिनु मुक्ति न मिले भईया,