पहाड़ी की धरती में चमका सितारा दुर्गा स्वरूपा से छाया उजियारा,
दर्शन को आया है संसार सारा गूंज रहा है जय जय कारा,
पहाड़ी के मंदिर की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा,
लाल चुनरियाँ सिर पे विराजे,
सिर पे विराजे माँ सिर पे विराजे,
हाथो में तेरे मेहँदी राचे माँ मेहँदी राचे
कोई न जद्दू से इस के बचा,
मेरो मन है गयो लटा पटा,
चांदी के छत्तर माँ लटके,
रजत सिंघषण बैठी डट के,
सब से निराली है तेरी छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा,
श्याम ने जब से दर्श किया ,
दर्श किया है तेरा दर्श किया है ,
बिन मांगे तूने सब कुछ दिया है,
सुध बुध का नाही है मुझको पटा
मेरो मन है गयो लटा पटा