हम नील गगन पे दादी तेरा डंका बजाते,
भगतो का चलता जोर तो मंदिर चाँद पे हम बनवाते,
हम नील गगन पे दादी तेरा डंका बजाते,
भक्त तुम्हारे तुमको दादी सरआंखों पे बिठाते ,
सब से ऊपर तुम बैठो आँखों में सपने सजाते,
मंदिर बन जाए चाँद पे सूरज पे नीव लगाते,
भगतो का चलता जोर तो मंदिर चाँद पे हम बनवाते,
ऊचा सिंगासन हो तेरा ऊचा सिरकर बंध तेरा,
वहा इट लगावाने को हर भक्त फ़िक्र मंद तेरा,
बस सब से पहले दादी वहा तेरी ध्वजा लहराते,
भगतो का चलता जोर तो मंदिर चाँद पे हम बनवाते,
तेरे शिखरबन्ध का झंडा माँ धरती से दिख जाता,
दाग लगा जो चंदा में तेरे झंडे से छिप जाता,
वहा बना तेरा दरबार चाँद पे चार चाँद लगवाते,
भगतो का चलता जोर तो मंदिर चाँद पे हम बनवाते,
मंदिर का घंटा भजता इस धरती पे सुन जाता,
रोज सुनन का वनवारी भगतो का नियम बन जाता,
दर्शन की लगी है भीड़ मैया सोच सोच इतराते,
भगतो का चलता जोर तो मंदिर चाँद पे हम बनवाते,