लाला नन्द के किशोर घर आइयो माखन खिलाऊ गी
बरसानो है गांव हमारो गुजर जात है मोरी,
लाड प्यार को नाम हमारो कहे गांव के गोरी,
यमुना तट पनघट की गेल में बखरी बनी हमारी ,
द्वारे चित्र चित्र में थाड़ी कलश धरे पनहारी,
दिन ऊघट खो दौर,
घर आइयो माखन खिलाऊ गी
पहला मोहन जातन मिल है सकरी सकरी गलियां,
उत्तर दक्षिण एक सामने गई तीन थो कुलियाँ,
तनक अँगारू बढ़ लो लाला मिल है गांव अढ़ाई,
ुताई से लाला मोरी बखरी दे जे तुम्हे दिखाई
ले रह यमुना हिलोर दिन ुगत खो दौर,
घर आइयो माखन खिलाऊ गी
माँझ गांव में गांव भरे से उची बनी अटारी,
बगल में बाग़ बाग़ में फूली चंपा जूही चमेली,
जामुन आम नीम और पीपल कटवर बरा भहेरो,
और बीच आंगन में खड़ा लाला तुलसी जी को पेड़ो,
बनी छज्जे पे मोर दिन उगत खो दौर,
घर आइयो माखन खिलाऊ गी
दवा जाए खेत ोे भौराई गाय चरावे भाइयाँ,
उन्हें केलवा ले के दुपहरे हारे जे हे मियां,
सुनो घर माखन खा जइयो डर न कछु कन्हियान,
बाई अगर पूछे तो कह दे खा गई राण बिलैया ,
मोर चचल चित चोर,
घर आइयो माखन खिलाऊ गी