पितर जी भजन

म्हे तो जल की झारी लिया खड्या पितरा न मिलना चाहिये,
पितरा का दोन्यूं हाथ बेटा के सिर पर रहना चाहिये।

म्हे तो भोजन थाली लिया खड्या पितरा न मिलना चाहिये,
पितरा का कोमल हाथ बहुवा के सिर पर रहना चाहिये।

म्हे तो दूध पतासा लिया खड्या  पितरा न मिलना चाहिये,
पितरा का कोमल हाथ  पोता के सर पर रहना चाहिये।

पितरा का कोमल हाथ पोतिया के सर पर रहना चाहिये,
म्हे तो पांचू कपड़ा लिया खड्या पितरा का कोमल हाथ सबा के सर पर रहना चाहिये।

म्हारी बाड़ी का रखवाला बाड़ी फुला भरनी चाहिये,
पितर जी म्हारे पूजन में आवो जी थे आय बिराजो जी म्हे धोक लगावा जी।

बोलो पितर जी महाराज की जय।

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