ठाकुर ने खाटू में क्या खेल रचाया है

ठाकुर ने खाटू में क्या खेल रचाया है,
राधे की हवेली को ब्रिज धाम बनाया है,

नंदगाव में रसोई में माँ यशोदा का डेरा है,
माखन और मिश्री का भोजन में बसेरा है,
भोजन रूपी प्रशाद मैया से पाया है,
ठाकुर ने खाटू में क्या खेल रचाया है,

गोकुल के जैसा यहाँ हर भगतो को प्यार मिला,
नन्द और यशोदा का आदर सत्कार मिला,
बैकुंठ के जैसा ही बैकुंठ वासया है,
ठाकुर ने खाटू में क्या खेल रचाया है,

यही मेरा वृद्धावन यही गोकुल बरसाना,
राजेंदर ने इसको ही सर्वस अपना माना,
खुश है ये श्याम तेरा मुझे दास बनाया है,
ठाकुर ने खाटू में क्या खेल रचाया है,
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