दर्द दिलो के सेह नहीं

दर्द दिलो के सेह नहीं पाते श्याम अगर जो तुम न निभाते,
सच कहते है जी नहीं पाते श्याम अगर जो तुम न निभाते,

ख्वाइश  मेरी सब थी अधूरी जीवन में थी बस मज़बूरी,
अपनों का सतना सितम ढहाना कैसे हम भूले वो अफसाना,
गिर गिर के यु सम्बल ना पाते श्याम अगर जो तुम न निभाते
सच कहते है जी नहीं पाते श्याम अगर जो तुम न निभाते,

दिल की बाते दिल में रहती,
छुप छुप कर के आँखे बहते,
रोज रोज वोही पिल पिल के मरना,
तेरी ही किरपा से मैं हु जिन्दा,
सपने भी सपने रह जाते,श्याम अगर जो तुम न निभाते
सच कहते है जी नहीं पाते श्याम अगर जो तुम न निभाते,

जब से तुम्हारी भगति मिली है पापो से मोहित मुक्ति मिली है,
अब तो यही कहना शरण में रहना चाहे कुछ भी सोचे ये ज़माना
सारा जीवन रो रो बिताते श्याम अगर जो तुम न निभाते
सच कहते है जी नहीं पाते श्याम अगर जो तुम न निभाते,
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