कुन जाने कद कौन से बेष में

कुन जाने कद कौन से बेष में सांवरियो घर आ जावे,
घर आया को मान राख जो भूल कोई न हो जावे,
कुन जाने कद कौन से बेष में सांवरियो घर आ जावे,

वो कानि तो है बड़भागी जाके घर में कोई आवे,
वार्ना कइने फुर्सत है जो समय बितवन आवे,
मान अतिथि को रखने से ईश्वर भी खुश हो जावे,.
घर आया को मान राख जो भूल कोई न हो जावे,

आज अतिथि देवो  भव की घटने लगी है मानता,
बाई चारो ख़त्म हो रहो खोवन लागि सभ्यता,
बिना धर्म और परम्परा की संस्कृति नहीं घट जावे
घर आया को मान राख जो भूल कोई न हो जावे,

घर आया की आवा भगत से धर्म पुण्य हॉवे भारी,
मिल्खा जूनि सफल हॉवे है यही है दुनिया दारी,
रवि कवि कद आवे अतिथि जग कानो पानी ल्यावे,
घर आया को मान राख जो भूल कोई न हो जावे,
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