किशोरी सुंदरी श्यामा, तूही सरकार मेरी है।
नहीं है और से मतलब फकत इक आस तेरी है॥
किशोरी सुंदरी श्यामा, मुझे विरहा ने घेरी है।
दर्श की जो कृपा कीजो, की काहे को देरी है॥
टहल बक्शो महल निज की, विनय कर जोर मेरी है।
सरस यह माधुरी दासी, तेरे चरणों की चेरी है॥