चाहे रूठो या राज़ी रहो,मुझे दर पे भुलाना पड़ेगा,
मैं हु हर हाल में तेरा फैसला सुनाना पड़ेगा,
चाहे मुझसे हो कोई खता चाहे मुझसे निभे न वफ़ा,
चाहे मैं हु गलत हर दफा,
तुझसे रिश्ता निभाना पड़े गा.
मैं हु हर हाल में तेरा फैसला सुनाना पड़ेगा,
मेरा हर सपना सच कर दिया मेरा घर खुशियों से भर दिया,
फिर बला दूर क्यों कर दिया आज तुम को बताना पड़े गा,
मैं हु हर हाल में तेरा फैसला सुनाना पड़ेगा,
ना गलत था इरादा मेरा न ही भुला मैं वादा मेरा,
मैं भगत सीधा साधा तेरा,
इस खता को भुलाना पड़े गा,
मैं हु हर हाल में तेरा फैसला सुनाना पड़ेगा,