बेसहारों के सहारे हैं सभी कहते हैं
अपने भक्तों की पुकारों में बेस रहते है
मेरे जीवन के अँधेरे भी मिटा दो बाबा
तेरे दर पे तो उजालों के नूर बहते हैं
बेसहारों के ............
आँख की ज्योति चैन दिल का सभी खोया है
खुशियां क्या जानू मेरा दिल तो बहुत रोया है
जो भी मिल जाए तेरे नाम से सब सहते है
बेसहारों के ............
इन अंधेरों में मैं पग पग पे ठोकरें खाऊं
तू ही बतला दे मेरी मंज़िल मैं कैसे पाऊं
दरया आँखों से आंसुओं के सदा बहते हैं
बेसहारों के ............
लाखों तारे है मेरे बाबा क्या मजबूरी है
ज़िन्दगी मेरी बिना तेरे अब अधूरी है
रोज़ उम्मीद के बन बन के महल ढहते हैं
बेसहारों के ............