तर्क ओ उड़े जब जब जुल्फें तेरी
ओ मेरे साबरे सलोने आजा,ओ मेरे साबरे सलोने आजा
कि वंशी कही ना बजी,ओ वंशी कही ना बजी ओ मेरे सांवरे,
जब ऐसी भोली सूरत ओ, जब ऐसी भोली सूरत
तो नजर कैसे हट जाएगी ओ मेरे साबरे
रूत रास रचन की आई , ओ रूत रास रचन की आई
कि मधुवन आजा साबरे ओ मेरे साबरे
कभी मेरे घर भी आना आन ,ओ कभी मेरे घर भी आना
की तक तक नैन थक गए ओ मेरे सांवरे
उस गांव पर स्वर्ग भी सदके, ओ उस गांव पर स्वर्ग भी सदके
कि वो तेरा गोकुल गांव है ओ मेरे सांवरे
माखन खाने के बहाने आजा ,ओ माखन खाने के बहाने आजा
कि तेरा इंतजार करूं ओ मेरे सांवरे
यशोदा से शिकायत करने के बहाने देखूं ,ओ तेरी शिकायत करने के बहाने देखूं
तू मटकी फोड़ जा सांवरे ओ मेरे सांवरे
अब पकड़ेंगी गली की सब ग्वालन ,ओ पकड़ेंगी गली की सब ग्वालन
कि काना कहीं छुप जा रे ओ मेरे सांवरे
तुम चलते ठुमक ठुमक कर ,ओ तुम चलते ठुमक ठुमक कर
कि कान्हा नजर तुम्हें लग जाएगी ओ मेरे सांवरे
तुम जाओ कहीं भी काना ,ओ तुम जाओ कहीं भी काना
की पीछे पीछे हम आएंगे ओ मेरे सांवरे
ओ मेरे सांवरे सलोने आजा ,ओ मेरे सांवरे सलोने आजा ,,,,,,,,,,,,,,,
लेखक = आलोक आचार्य