जब से बिहारी जी से नज़र लड़ी है

ऐसे नहीं हम चाहने वाले,
जो आज तुम्हे कल और चाहे,
फेंक दियां आंख निकाल के दोनों,
जो और किसी से नजर मिलाये,
लाख मिले तुमसे बढ़ कर तुम्हे ही चाहिए और तुम ही मनाये,
जब तक तन में प्राण है तब तक नाता निभाएं,

जब से बिहारी जी से नज़र लड़ी है,
ऐसा नशा छा गया है जीने का मजा आ गया है,

बन गई तेरे नाम की जोगन,
छोड़ दियां जग सारा,
अब तो चैन मिले मोहे तब ही,
मिली जो प्रीतम प्यारा,
तुझबीण अब तो लगता नहीं दिल,
दिल को तुहि भा गया है ,
जीने का मजा आ गया है,

यह अग्नि तुम्हारी लगाई हुई,
बिना आप के भुजाये गा कौन,
परिवार कुटंब नाता था
उनमे हमको अपनाएगा कौन,
श्री कृष्ण दया निधि को ताज के ,
दुखियो पे दया बरसाए गा कौन,
अब प्रीतम प्यारे तुम्हारे बिना इस दास को गले लगाए गा कौन,

साहिब से जो इश्क़ हुआ तो,
दुनिया से कया लेना,
जो दौलत हमने पा ली है,
दौलत और कही न,
अब तो किसी से लगता नहीं दिल,
दिल को व्ही भा गया है,
जीने का मजा आ गया है,

मालिक के अनदेखे घर का,
कौन पता बतलाये,
पंडित पूर्व बोले वो,
मुल्ला पक्षिम ले जाये
छोड़ दिया दर दर का भटकना,
खुद में उसे पा लिया है,
जीने का मजा आ गया है,
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