हुण आजा श्याम वे, सोह है तेनु प्यार दी
तू की जाने किवे गुज़ारा घड़ियाँ इंतज़ार दी
इक दिन राति सपने दे विच आ गए श्याम मुरारी,
मोर मुकट मत्थे तिलक विराजे, कुंडला दी छवि न्यारी ।
आँख जद मैं खोली श्यामा, रह गयी रूप निहार दी,
हुण आजा श्याम वे...
डरदी मारी आँख न खोला किते सपना न टूट जाए,
मुश्किल दे नाल श्याम हत्थ आया, किधरे चला न जाए ।
आँख जद मैं खोली श्यामा, रह गयी वाजा मारदी,
हुण आजा श्याम वे...
तू की जाने दुख ने कहडे, फिकरां दे विच्च खोयी,
जोगन वाला भेष बना के योगन तेरी होई ।
चरना दे नाल ला ले श्यामा, रख दे लाज प्यार दी
हुण आजा श्याम वे...
जिस तन लागे सो तन जाने, होर ना जाने कोई,
मैं मस्तानी प्रेम दीवानी, दर्द न जाने कोई ।
देवन ताने घर दे मेनू, दुनिया पई सतावंदी,
हुण आजा श्याम वे...
जे श्यामा तू रास रचावे, मैं भी सखिया नचावदी, आजा श्यामा वे...
जे श्याम तू गया चरावे, मैं भी बछड़े चरावदी, आजा श्यामा वे...
जे श्याम तू मंदिर आवे, मैं भी कीर्तन करवादी, आजा श्यामा वे...
जे श्याम तू घर मेरे आवे, सोह सोह सगण मन्वादि, आजा श्यामा वे...