कैसे भूलुंगा दादी मैं तेरा उपकार,
माँ ऋणी रहेगा तेरा हर दम मेरा परिवार
घूम रही आँखों के आगे बीते कल की तस्वीरें ,
ना कामी और मायूसी ही साथी संगी थे मेरे,
दर दर भटक रहा था मैं बेबस और लाचार,
कैसे भूलुंगा दादी मैं तेरा उपकार,
कभी कभी तो सोचो कैसे खे था टूटी की नाइयाँ की,
अगर नहीं तुम बनती मैया आकर मेरी ख्वाइयाँ तो,
डूभ ही जाती मैया मेरी नैया तो मजधार,
कैसे भूलुंगा दादी मैं तेरा उपकार,
भोज तेरे एहसानो का सोनू पर इतना ज्यादा है,
कम करने की कोशिश में ये और भी बढ़ता जाता है,
माँ उतर न पाए कर्जा चाहे लू जन्म हजार,
कैसे भूलुंगा दादी मैं तेरा उपकार,