मोहन कहें तुम्हे कोई गिरधारी,
जग के है पालन हारी कृष्ण मुरारी
माखन चुराते वो तुमने है खाया,
ऊँगली पे गोवर्धन वो पर्वत उठाया,
संकट को हरने वाले ये लीला धारी,
जग के है पालनहारी कृष्ण मुरारी,
लाज द्रोपती की वो तुमने बचाई,
सभा में वो दुर्योधन के हलचल मचाई,
रक्षा की उस अभला की जब उसने पुकारी,
जग के है पालनहारी कृष्ण मुरारी,
अर्जुन के सारथि बन कर रहे तुम
सदा मार्ग दर्शन करते रहे तुम,
कहता अशोक सुनो विनती हमारी,
जग के है पालनहारी कृष्ण मुरारी,