मत कर इतना मुझको मजबूर साँवरे,
क्यूँ हो गया हैं मुझसे तू दूर साँवरे ॥
तेरी गलियों में मेरा आना जाना रहें ,
हर पल तेरा प्यार पाना रहें ,
तेरी गलियों से होउ मशहूर साँवरे,
इन नैनों की तृष्णा मिटादो हरि ,
मुझे राधा संग दर्शन दिखादो हरि ,
मिल जाए मेरे दिल को सरूर साँवरे,
भाव लिख लिख श्यामा मैं सुनाता रहूँ ,
प्रेम भरे स्वर से तुझको रिझाता रहूँ ,
तुम आना मेरे घर पे जरूर साँवरे,
तेरे नैनों का अमृत मैं हर पल पियूँ ,
चाहे मर जाऊँ चाहे तेरे दर जियूँ ,
तेरे "पवन" के होवे गम दूर साँवरे,
वो नैनों का लम्हा तेरा इक इशारा कर गया,
मुझे ब्रिज की गलियों में अवारा कर गया ,
भाव व् स्वर : ( लाडला पवन वर्मा )