परदा हमसें करते हो क्यों बिहारी जी,
मुख अपना छिपाते बिहारी जी
परदा हमसें करते हो क्यों बिहारी जी
फूलों कलियों सा तेरा मुखड़ा है
चाँद तारों में एकलौता टुकड़ा है
मन ये मेरे में पर ये दुखड़ा है
रूप क्यों ना दिखाते बिहारी जी
परदा हमसे करते हो क्यूँ बिहारी जी
नैन कजरारे सैन सुखकारे
बैन हितकारे मन को पुचकारे
खींची आई मै अब तेरे द्वारे
हमसे नज़ारे मिला लो बिहारी जी
परदा हमसे करते हो क्यूँ बिहारी जी
नैन काजल है घने बादल हैं
पाँव पायल है दिल ये घायल है
बाबा रसिक भी तेरा पागल है
गोपाली का सब कुछ बिहारी जी
परदा हमसे करते हो क्यूँ बिहारी जी
मुख अपना छिपाते बिहारी जी
परदा हमसे करते हो क्यूँ बिहारी जी